बदायूँ: नारी का हो सम्मान तब बनेगा भारत महान – सचिन सूर्यवंशी
बदायूँ: आज स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर भारतीय एकता परिवार / परिषद के तत्वावधान में ‘विषय- स्वाधीनता संग्राम में नारी शक्ति का योगदान’ पर मासिक श्रंखला अभिज्ञान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ अध्यापिका श्रीमती शोभा गुप्ता ने उपस्थित महिलाओं व बच्चियों को आत्मरक्षा एवं देशसेवा के कार्यों में आगे आकर भाग लेने हेतु प्रेरित किया।

कार्यक्रम में संस्था की मार्गदर्शक श्रीमती मधु शर्मा जी (प्रधानाचार्या) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं । उन्होंने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महिलाएं पीछे नहीं रहीं उन्होंने भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाया और आज़ादी की लड़ाई में जेल भी गईं। 1857 में राजघराने की महिलाओं ने भी आज़ाद भारत का सपना पूरा करने को रानी अवन्तिबाई होलकर व रानी लक्ष्मीबाई से प्रेरणा लेते हुए एकजुटता का परिचय दिया। सरोजिनी नायडू व लक्ष्मी सहगल ने आज़ादी के बाद भी सम्पूर्ण भारतवर्ष में अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया। उन्होंने कहा कि कोई भी देश तब तक सफलता के शिखर तक नहीं पहुँच सकता जब तक वहाँ की महिलाओं का योगदान न हो।
कार्यक्रम संयोजिका अमिता पाण्डेय ने विचार रखते हुए कहा कि कोई भी आंदोलन महिलाओं की सहभागिता के बिना सफल हो ही नहीं सकता फिर वो आंदोलन चाहे स्वाधीनता संग्राम के लिए हो या राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति हेतु क्योंकि अगर शहीद भगत सिंह की माँ उनको ममता की बेड़ियों में जकड़े रहतीं तो शायद न हमको आज़ादी मिली होती न कोई भगत सिंह का नाम जानता। महारानी लक्ष्मीबाई हों या अवन्तिबाई उनसे लेकर इन्दिरा गांधी तक जितनी भी महिलाओं ने देश में अपनी अलग पहचान बनाई वे सब हमारी जैसी ही साधारण महिलाएं ही थीं। उनमें और हम में फर्क सिर्फ इतना है कि उन्होंने अपनी शक्ति को पहचाना और हम अपनी शक्ति को भूले हुए हैं। स्वतंत्रता दिवस के सुअवसर पर हम सबको शपथ लेनी चाहिए कि अपनी शक्ति को पहचानेंगे और स्वयं को कभी भी किसी से कम या कमजोर नहीं समझेंगे।
संस्था अध्यक्ष सचिन सूर्यवंशी ने भी मातृशक्ति को नमन करते हुए स्वाधीनता संग्राम में उनके योगदान को सराहते हुए कहा कि कोई भी देश आर्थिक, सामाजिक या राजनैतिक रूप से कितनी भी उन्नति कर ले या विभिन्न सैन्य शक्तियाँ अर्जित कर ले किन्तु यदि उस देश में बहन बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं तो किसी भी विकास के कोई मायने नहीं हो सकते क्योंकि मातृशक्ति के बिना कोई भी शक्ति अधूरी है। उन्होंने कहा कि ये बहुत ही दुर्भाग्य का विषय है कि आजादी की लड़ाई में जिन माता बहनों ने पुरुषों से आगे आकर भाग लिया उनका इतिहास के पन्नों में नाम भी दर्ज न हो सका। यदि दुर्गा भाभी ने बहादुरी और दृण निश्चय का परिचय न दिया होता तो काकोरी काण्ड सफल नहीं होता लेकिन आज काकोरी काण्ड के बारे में तो सब जानते हैं पर दुर्गा भाभी का पूरा नाम दुर्गा बाई देशमुख बहुत कम लोग ही जानते होंगे और स्वाधीनता संग्राम सिर्फ व्व नहीं जो अंग्रेजों के विरुद्ध हुआ बल्कि वह भी था जो मुग़लों के विरुद्ध लड़ा गया तब न जाने कितनी पद्मिनियों ने हँसते हँसते अपने प्राणों की आहुति दी। आधुनिक युग में भी पी.टी. ऊषा, कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स, नीरजा भनोट, गीता फोगाट जैसी असंख्य बहनों ने सम्पूर्ण विश्व में हमारे देश का गौरव बढ़ाया लेकिन फिर भी हमारे देश में उन्हें कमजोर समझ कर अत्याचार किये जाते हैं। हमारी बहनों को सर्वाधिक आवश्यकता है जागरूकता और एकता की क्योंकि यदि किसी बहन बेटी या बहु घरेलु हिंसा की शिकार होती है तो उसमें किसी महिला की भूमिका जरूर होती है आज नारी ही नारी की सबसे बड़ी दुश्मन बन गई है।
कार्यक्रम अधिकारी के रूप में सुश्री किरण वर्मा जी के साथ कार्यक्रम में श्रीमती अमिता आलोक, रीना सिंह, किरण बाला, गीतांजलि, ज्योति वर्मा, लतारानी सक्सेना, सुशील दुबे, नीलम आर्या, पूनम सक्सेना, श्रद्धा भारतीय, गुंजन, कमलेश, मिथिलेश, सुशीला निषाद, लक्ष्मी शर्मा, पूनम यादव, आरती गंगवार, संगीता राघव, मंजूलता, प्रतिभा राघव, सीमा शर्मा, मीना, विनीता, अरुण राठौर, सरोज पाल, विभा सरोज, रेनू गुप्ता, नीतू सिंह, लेखराज, ब्रजेश कुमार, शिवम यादव आदि उपस्थित रहे।