बदायूँ: मोमबत्तियाँ जलाने से बहन-बेटियों की सुरक्षा नहीं होगी- सूर्यवंशी
बदायूँ: आज भारतीय एकता परिवार के तत्वाधान में मासिक श्रंखला अभिज्ञान के अन्तर्गत ‘विषय – महिला सशक्तिकरण’ पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन बदायूँ क्लब में किया गया।
इस अवसर पर संस्था की बरेली मण्डल अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा चन्देल के मार्गदर्शन में श्रीमती सुमन यादव व श्रीमती कुसुम भारती ने अपनी सौ से अधिक साथियों के साथ संस्था की सदस्यता ग्रहण की। श्रीमती प्रतिभा चन्देल व बरेली मण्डल प्रभारी श्रीमती रीता सक्सेना ने श्रीमती सुमन यादव को मातृ शक्ति प्रकोष्ठ में जनपद बदायूँ की अध्यक्षा तथा श्रीमती कुसुम भारती को जनपद- बदायूँ में महासचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी।
कार्यक्रम संरक्षिका के रूप में श्रीमती आशा सक्सेना जी उपस्थित रहीं उन्होंने कहा कि हम सब एक आत्मा हैं जो कभी नहीं मरती। ईश्वर ने हमें सद्कार्य करने हेतु इंसान का जन्म दिया है इसलिए हम सभी को अच्छे कार्यों में सहयोग व बुरे कार्यों का विरोध करना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्रीमती प्रतिभा चन्देल जी ने कहा कि कोई भी कार्य हमारे हौसले और हिम्मत से बड़ा नहीं होता जरूरत है तो सिर्फ आगे बढ़ने की। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्म प्रधान है जिसे हमको हर हाल में करना चाहिए।
श्रीमती संगीता पाण्डेय जी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उन्होंने सभी मातृशक्तियों को एकजुट होकर अन्याय के विरुद्ध व अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने हेतु प्रेरित किया।
अधिवक्ता कौशल गुप्ता जी ने सभी मातृ शक्तियों को उनके संवैधानिक अधिकारों व सुरक्षा की विधिक जानकारियाँ प्रदान कीं।
संस्था अध्यक्ष सचिन सूर्यवंशी ने कहा कि प्रत्येक बहन-बेटी में माँ का स्वरूप होता है यदि माँ न होती तो हम न होते संसार का निर्माण करने वाली मातृशक्ति कभी कमजोर नहीं हो सकती। ये एक माँ की ताकत और हिम्मत ही है जो एक माँस के लोथड़े को पाल-पोश कर इंसान बना कर जीना सिखाती है किन्तु ये हमारा दुर्भाग्य है कि हम उसी मातृ शक्ति पर अपनी ताकत का उपयोग करते हैं । ईश्वर ने माता बहनों की सुरक्षा करने के लिए पुरुष को शक्ति दी है न कि उन पर अत्याचार करने को। आज परम् आवश्यकता है कि कोई भी सास अपनी बहू को बेटी व बहु अपनी सास के लिए माँ की नजर से देखें तो पारिवारिक झगड़े और घर टूटने की घटनाएं बहुत कम हो जाएंगी। पश्चिमी सभ्यता की ओर तेजी से आकर्षित होती युवा पीढ़ी आज अंधकार व अपराध की गर्त में फँसती जा रही है इसके लिए जरूरी है कि हम अपने बालकों को प्यार के साथ संस्कार भी दें क्योंकि जहाँ संस्कारों की कमी होगी वहीं अपराध जन्म लेगा। सभी लोग बेटियों को सभ्यता और संस्कारों की नसीहत देते हैं पर अपने बेटों को भी सीखाना होगा कि वे महिलाओं व लड़कियों को अपनी माता बहन समझें।
श्रीमती सुमन यादव ने कहा कि आजादी से अब तक न जाने कितनी सरकारें आईं उन सबने सिर्फ महिलाओं के हित की बात की पर कोई काम कभी नहीं किया। महिलाओं के लिए कानून तो कठोर बनाए गए पर महिलाओं को हमेशा कमजोर किया गया। चुनाव के समय जब नेता वोट माँगने आते हैं तब महिलाओं, लड़कियों के पैर छूते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद नेता और उनके चमचे उन्हीं बहन, बेटियों का शारीरिक शोषण करने के नए नए उपाय करते हैं। हम सभी बहनों को एकजुट होकर ऐसे चरित्रहीन दरिन्दों को सबक सिखाना होगा तभी हमारी बेटियाँ सुरक्षित रह पाएंगी।
श्रीमति कुसुम भारती ने कहा कि जब तक महिलाएंक अशिक्षित बेरोजगार रहेंगी तब तक उनका भला नहीं हो सकता इसलिए सबसे पहले हमें अपने पैरों पर खड़े होकर स्वावलम्बन की आवश्यकता है।
मनाली सक्सेना ने कहा कि महिलाओं को सबने बन्धुआ मजदूर समझ रखा है वे घर में पूरे परिवार का पालन-पोषण करके भी अत्याचार सहती हैं और बाहर हर कदम पर प्रतिदिन भूखे भेड़ियों की गन्दी नजरों और सोंच का शिकार होती हैं।
श्रीमति स्नेहप्रभा भटनागर जी ने कहा कि हमें अपनी शक्तियाँ पहचाननी और जगानी होंगी क्योंकि जब हम अपनी सुरक्षा स्वयं करेंगे तभी सशक्त होंगे, दूसरों पर निर्भर रह कर सशक्तिकरण सम्भव नहीं हो सकता।
श्रीमती मन्जू सिंह व कुमारी अमिता पाण्डेय ने बहन-बेटियों की शिक्षा पर जोर दिया उन्होंने कहा कि हम सभी को अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए और ये तभी सम्भव होगा जब हम शिक्षित होंगे इसलिए अपनी बहन बेटियों को अधिक से अधिक पढ़ा लिखा कर उसके हाथों को मजबूत करें।
युवा महासचिव डॉ. आशुतोष उपाध्याय ने बहन बेटियों की शिक्षा के साथ शारीरिक मजबूती पर भी जोर दिया उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हम अपने पुत्रों को हष्ट-पुष्ट बनाने हेतु शारीरिक व्यायाम व खान पान पर ध्यान देते हैं उसी प्रकार बेटियों को भी शारीरिक व्यायाम हेतु प्रेरित कर बलशाली बनाएं ताकि वे अपने ऊपर होने वाले अपराध अत्याचार का जवाब स्वयं देने में सक्षम हो सकें।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्रीमती जानकी देवी, श्रीमती फिरदोष, प्रियंका, मीना कुमारी, कान्ति, सविता, रश्मि, बॉबी, शकुन्तला, सुरभि, सोनी, जया रानी, सुषमा, ज्योति, नन्हीं, भाग्यवती, नीरजा वर्मा, सुरजा कश्यप, नील बाला, शिवानी, विद्यावती, कमलेश, गुड्डो, नीलम, उमा भारती, शान्ति देवी, राजकुमारी, सुशीला, सरिता, पायल, रामबेटी, पूनम, गीता, काजल, पारुल, नूतन सक्सेना, रीना शाक्य, पूनम सागर, अनिता राजपूत, ज्योति वार्ष्णेय, निशा, नेहा सक्सेना, विमला, लक्ष्मी शाक्य, आरती, शिवानी, निर्मला, कंचन, रूपम शर्मा, अर्चना, शशि बाला आदि मातृशक्ति के साथ सुजीत कश्यप, राहुल गुप्ता, सौरभ वर्मा, अजय, रविकान्त भी उपस्थित रहे।