बदायूँ: सचिन सूर्यवँशी ने लखनऊ में उठाई सोत नदी का समस्या।

बदायूँ: राजधानी लखनऊ में वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फेडरेशन द्वारा सिंचाई विभाग सभागार में “विषय- नदियों के लिए जीवन – जीवन के लिए नदियाँ” पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
        कार्यक्रम में भारत की प्रमुख नदियों व अन्य जलस्त्रोतों, पर्यावरण की वर्तमान स्थिति व उनके सुधार हेतु विचार विमर्श किया गया।
         कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश शासन के सिंचाई मंत्री माननीय धर्मपाल सिंह जी ने मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रह कर सभी के विचारों को सराहते हुए अतिशीघ्र ही सकारात्मक परिणाम हेतु आस्वस्त किया। नदियों के प्रति उनकी गम्भीरता एवं कार्यशैली अत्यधिक सराहनीय दिखी। उन्होंने कहा कि सोतनदि के जीर्णोद्धार हेतु हम पहले ही प्रयासरत हैं और योजना के क्रियान्वयन हेतु रूपरेखा तैयार की जा रही है अतिशीघ्र ही सकारात्मक परिणाम मिलेंगे ।
        कार्यक्रम में लोकभारती के वरिष्ठ पदाधिकारी श्रीमान बृजेन्द्र पाल जी के साथ विभागीय प्रमुख सचिव, वरिष्ठ उच्चाधिकारियों व आयोजक संस्था के देश विदेश से आए पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।
         कार्यक्रम में सचिन सूर्यवँशी ने विचार रखते हुए बदायूँ जनपदवासियों का पालन-पोषण करने वाली माँ गंगा के साथ सदानीरा सोतनदि की दयनीय स्थिति का भी उल्लेख किया।
        उन्होंने कहा कि जब तक छोटी नदियों का जीर्णोद्धार नहीं होगा तब तक गंगा, यमुना, रामगंगा जैसी बड़ी नदियों के सफलतम जीर्णोद्धार की कल्पना भी व्यर्थ है क्योंकि ये सभी छोटी नदियाँ न केवल बड़ी नदियों की जलधारा में मिल कर उनके जलस्तर को सन्तुलित रखती थीं बल्कि समीपवर्ती क्षेत्रों को सूखे व बाढ़ जैसी आपदाओं से भी बचाती थीं। जनपद बदायूँ में सोत, अरिल्ल, महावा, भैंसोर,  चार नदियाँ अपनी अविरल धारा से जीव-जंतुओं के पालन-पोषण के साथ कृषि भूमि को भी अभिसिंचित करती थीं किन्तु धीरे धीरे वे सभी विलुप्ति की कगार पर हैं। इनमें से एक मुख्य सोतनदि जनपद के सर्वाधिक भूभाग को लाभान्वित करती थी यदि सर्वप्रथम उसका जीर्णोद्धार हो जाए तो भविष्य में बदायूँ जनपद को सूखे व बाढ़ की आपदा से बचाया जा सकता है। उसके लिए शासन/प्रशासन को दृण संकल्प व निष्पक्ष कढ़ी कार्यवाही की आवश्यकता होगी क्योंकि किसी भी कार्य में सफलता हेतु पद नहीं प्रण परम् आवश्यक होता है। यदि सोतनदि का जीर्णोद्धार कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ तब अन्य नदियों के जीर्णोद्धार व गंगा के संरक्षण की संभावनाएं भी प्रबल होंगी। उन्होंने सोतनदि के जीर्णोद्धार हेतु प्रेषित मांगपत्र में आवश्यक सुझाव भी प्रस्तुत किये। जिनको मुख्य अतिथि द्वारा गम्भीरता से लेते हुए क्रियान्वयन का आश्वासन दिया।

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