बदायूँ: सांसद मा0 धर्मेन्द्र यादव ने पिछडो, दलितों, अनुसूचित जनजातियों तथा अल्पसंख्यकों के आरक्षण पर भेदभाव का मामला आज संसद में जोरदार तरीके से उठाया।

बदायूँ: समाजवादी पार्टी से बदायूँ लोकसभा क्षेत्र के सांसद मा0 धर्मेन्द्र यादव ने पिछडो, दलितों, अनुसूचित जनजातियों तथा अल्पसंख्यकों के आरक्षण पर भेदभाव का मामला आज संसद में जोरदार तरीके से उठाया उन्होनें यू0जी0सी0 के 5 मार्च के सर्कुलर का जिक्र करते हुए कहा कि देश के विभिन्न विद्यालयों में 60 प्रतिशत पिछडो, 22 प्रतिशत दलित तथा 7.5 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति सहित को लगभग 85 प्रतिशत लोगो के साथ देश के विश्व विद्यालय व महाविद्यालयों में अन्याय व अत्याचार को रहा है।

सन् 1997 में अनुसूचित जाति के लोगो को आरक्षण मिला तथा 2007 में पिछडी जाति के लोगो को आरक्षण मिला। 2018 आते आते उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग तथा मानव संसाधन मंत्रालय को यह आरक्षण बर्दाश्त नहीं हो रहा है जहां पहले 200 पदो का रोस्टर बना था, विश्व विद्यालय और महाविद्यालयों को सामान्य यूनिट मानकर आरक्षण मिला था जिसे एक षडयन्त्र के तहत समाप्त किया जा रहा है। अभी हाल ही में तमाम विश्वविद्यालयों के विज्ञापन आये है जिसमें पंजाब विश्वविद्यालय के 58 पदों में मात्र 2, झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय में 63 में मात्र 5, कानपुर विश्वविद्यालय में 15 मे शून्य, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 113 में मात्र 37, सपूर्णानन्द काशी विश्वविद्यालय में 52 मे मात्र 8, बी0एच0यू0 में 99 में मात्र 20 पद आरक्षित है। केन्द्र सरकार देश के दलित, पिछडे तथा अल्पसंख्यक वर्गो के साथ होने का खोखला दावा करती है जबकि सच्चाई यह है कि इन सभी वर्गो के साथ वर्तमान केन्द्र सरकार अत्याचार व अन्याय कर रही है। उन्होनें माननीय गृहमंत्री से आॅर्डिनेस लाने को भी कहा।

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