बिल्सी : एक शिक्षक को सूर्य की भांति गर्म और चांद की तरह नरम होना चाहिए-आचार्य संजीव रूप
बिल्सी : शिक्षक दिवस पर सुप्रसिद्ध वैदिक विद्वान समाज सुधारक आचार्य संजीव रूप ने आर्य संस्कारशाला गुधनी में विचार रखते हुए कहां कि ” एक शिक्षक को सूर्य की भांति गर्म और चांद की तरह नरम होना चाहिए! जैसे सूरज गर्मी से सृष्टि को मर्यादित करता है वैसे ही चांद शीतलता चहुं ओर बिखेरता है उसी प्रकार शिक्षकों को बाहर से कठोर और हृदय से छात्रों के प्रति उदार होना चाहिए ! उन्होंने कहा कि सादा जीवन सादा भोजन और उच्च विचार शिक्षकों के सदा होने चाहिए ! सत्य निष्ठा ,कर्तव्य निष्ठा, इमानदारी, सदाचार, स्वच्छता आभूषण है , प्रत्येक शिक्षक को इन आभूषणों को पहनना चाहिए ! शिक्षक राष्ट्र के भाग्य विधाता होते हैं इसलिए उनकी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है!
आर्य समाज के मंत्री मास्टर अगरपाल सिहं ने बच्चों को शिक्षा व शिक्षक का महत्व समझाते हुए कहा कि शिक्षक एक पिता और मां की तरह होता है जैसे पिता और मां अपने बच्चे के हितैषी होते हैं उसी प्रकार गुरु व शिक्षक भी अपने शिष्यों के हितैषी होते हैं। शाला की शिक्षिका श्रीमती प्रज्ञा आर्य ने भी बच्चों को सुंदर संदेश दिए, भजन गाए और सभी ने मिलकर हवन किया। इस अवसर पर मास्टर साहब सिंह मास्टर भीकम सिहं, बद्री प्रसाद आर्य ,सुखवीर सिंह, महेन्द्र आर्य ओम प्रकाश सैनी राकेश शाक्य, मनोज श्रीवास्तव आदि मौजूद रहेl
नईम अब्बासी की रिपोर्ट