ककोड़ा: रूहेलखंड के सुप्रसिद्ध मिनी कुम्भ मेला ककोड़़ा गंगा तीरे रेत की चमकीली चादर पर बस चुका है।
मेला ककोड़ा: रूहेलखंड के सुप्रसिद्ध मिनी कुम्भ मेला ककोड़़ा गंगा तीरे रेत की चमकीली चादर पर बस चुका है। श्रद्धालुओं ने अपनी राउटियां लगाकर गंगा तट पर बसना शुरू कर दिया है। प्रदेश भर के अलावा अन्य प्रांतों के लाखों श्रद्धालुओं का मेला ककोड़ा में पहुंचने का सिलसिला जारी है। मेला ककोड़ा में श्रद्धालु श्रद्धा और भक्ति के साथ अपने निजी वाहन ट्रेक्टर ट्राली, कार, टैंपो, मैटाडोर और मोटर साइकिलों से पहुंच रहे हैं। ग्रामीण अंचलों से भी हजारों श्रद्धालु अपनी बैलगाड़ियों को घर नुमा सजाकर कार्तिक पूर्णिमा के बाद शाही स्नान के लिए निकल पड़े हैं। मेले में अपने तम्बू लगा रहे हैं। बच्चों, बुजुर्गों, महिला और पुरूष गंगा तट पर तड़के ही स्नान करना शुरू कर दिया है।
स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने सूर्यभगवान की उपासना कर अघ्र्यदान किया। दीपदान के बाद मां गंगा की आरती की। इसके बाद श्रद्धालुओं ने गरीब असहाय लोगों को दान पुण्य की सामग्री आटा, दाल, चावल, खिचड़ी के अलावा दान दक्षिण भी दी। श्रद्धालुओं ने गंगा तट पर भजन कीर्तन किए। श्रद्धालुओं ने गंगा तट पर यज्ञ और सत्यनारायण की कथा कराई। इसके बाद श्रद्धालुओं ने हलवा पूड़ी, मिष्ठान और फलों का प्रसाद वितरण किया। श्रद्धालुओं ने सुबह गंगा स्नान करने के बाद मां गंगा की साड़ियां पहनाकर पहनान की। मां गंगा को नमन वंदन किया। उठाईगीरों और मनचलों पर पैनी नचर रखने के लिए वाॅच टाॅवर भी गंगा तट और अन्य स्थानों पर नहीं लगाए गए हैं। मुख्य गंगा घाट की दूरी ज्यादा होने के कारण श्रद्धालु मेले के पश्चिम घाट पर स्नान करने उमड़ रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया गंगा मैइया के आशीर्वाद से हमारे सारे काम बनें हैं। इस निमत्त मां गंगा की विशेष पूजा अर्चना के साथ मां गंगा की पहनान की है। श्रद्धालुओं ने गंगा पर कन्याओं को बैठाकर उनके चरण धोए और को दही जलेबी, पूड़ी सब्जी भोज कराया। मातृशक्तियों ने कन्याओं के रोली चंदन लगाया। महिलाओं और पुरुषों ने कन्याओं और मान पक्ष के पैर छूकर दक्षिण दी। मिनी कुंभ में श्रद्धालुओं सप्ताह भर पहले ही आकर गंगा किनारे अपने तम्बुओं को लगाकर रहने लगे हैं। मेले में अधिकांश पूरा परिवार ही होता है। श्रद्धालु ने अपने डेरा तम्बुओं में रसोई घर और बैठक विशेष तौर पर बनाई गई हैं।
मेले में जिला पंचायत की ओर से समाजसेवी संस्थाओं और श्रद्धालुओं को मिलने वाले टैंट, राउटिया अन्य निर्धारित सामान न मिलने से श्रद्धालु खासा परेशानी का सामना कर रहे हैं। मेले की स्वच्छता आधी अधूरी है। गत वर्ष मेले में जो व्यवस्थाएं की गई थी। उसकी तर्ज पर कार्य करने की कोशिश हो रही है। लेकिन जिम्मेदारियों से कार्य नहीं हो पा रहा है। मुख्य मार्गों पर कहीं कीचड़ है, तो कहीं धूल के अंबार उठ रहे हैं। मेले में पर्याप्त शौचालय भी नहीं बनें हैं। आलाधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को निभाने पूरा दावा कर रहे हैं। जबकि देवोत्थान के बाद से हजारों श्रद्धालु पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगा रहे हैं। मेला प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं के कोई खासा इंतजाम नहीं किए गए हैं। प्रशासन ने मां गंगा की मुख्य धारा की गहराई का जायजा भी लिया। गंगा में बल्लियां लगाकर रस्सियों से बैरीकेटिंग की गई है। गंगा तट सूना पड़ा हुआ है। प्रसाद बेचने वाले ही गंगा तट पर चार चांद लगाने पहुंच रहे हैं। महिला श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त चैंजिंग रूम तक बनाने का कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। गत वर्ष बैंक आॅफ बड़ौदा और अन्य लोगों ने चैंजिंग रूम की अहमियत समझी और उन्होंने गंगा तट पर विभिन्न स्थानों पर 15 से 20 तक चैंजिंग रूम बनवाए थे। पीएससी के जवान अपनी नाव से ड्यूटी कर श्रद्धालुओं को सावधान कर रहे हैं।
मेले में खजला, जलेबी, पेठा और प्रतिष्ठानों, परचून, सब्जी आदि की दुकानों के साथ मीनार बाजार भी सज गया है। मेले में पश्चिमी, पूर्वी और बरेली मार्ग पर और मुख्य मार्ग पूर्व की ओर सिलबट्टे, चूल्हे, उपले, छड़े, बक्से, ढ़ोलक, लाठी आदि का सामान की दुकानें आकर्षक तरह से सजाई गई हैं।
बच्चों के लिए मनोरंजक झूले अधिकांश लग चुके हैं, सिलम्बो, ड्रेगन, ट्रेन, नाव और मेले की रौनक बढ़ानें वाले दो बढ़े झूले भी लग चुके हैं। एक दो दिन में बच्चे और युवा झूलों का आनंद ले सकेंगे।