बिल्सी: अत्याचारी का अंत एक दिन होकर ही रहता है/सिरतौल में श्रीमदभागवत कथा का छठा दिन।
बदायूँ/बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव सिरतौल में चांमुडा देवी मंदिर पर चल रही श्रीमदभागवत कथा के छठे दिन गोवर्धन से आए पंडित विजय ने कहा कि भगवान कृष्ण ने अपने जीवन काल में कई लीलाएं की थीं जिसमें कंस वध प्रमुख है। कंस नौ भाई और उसकी पांच बहनें थीं। वह अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। उसकी बहनों का ब्याह वसुदेव के छोटे भाइयों से हुआ था। कंस ने अपने ही पिता उग्रसेन को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया था और खुद शूरसेन जनपद का राजा बन बैठा। वह अपनी चचेरी बहन देवकी से काफी स्नेह करता था। लेकिन एक दिन आकाशवाणी हुई कि तू जिस देवकी से इतना स्नेह करता है, उसका आठवां पुत्र ही तेरी मौत का कारण बनेगा। मौत के भय से कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया और उसने एक-एक करके देवकी की सभी छह संतानों को मार डाला। फिर शेषनाग ने मां देवकी के गर्भ में प्रवेश किया लेकिन भगवान विष्णु ने देवकी की इस सातवीं संतान को देवी योगमाया की मदद से वसुदेव की पहली पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया। यह बलराम कहलाए। इसके बाद भगवान विष्णु स्वयं माता देवकी के गर्भ में कृष्ण अवतार में आए। ये वसुदेव की आठवीं संतान थी जिसे लेकर भविष्यवाणी हुई थी कि यही कंस का वध करेगी। कंस ने कारागार की सुरक्षा और भी ज्यादा बढ़ा दी। भगवान विष्णु ने अपने कृष्ण अवतार में जन्म लिया। भगवान के जन्म लेते ही कारागार के द्वार खुद खुल गए और सभी सैनिक सो गये। जिससे वासुदेव बाल कृष्ण को सुरक्षित नंदबाबा के यहां पहुंचाने में सफल हो गए। जब कंस को कृष्ण के गोकुल में होने की सूचना मिली, तो उसने कई बार उनकी हत्या की कोशिश की, लेकिन हर बार उसे हार का ही सामना करना पड़ा। तब एक दिन उसने साजिश के तहत कृष्ण और बलराम को अपने दरबार में आमंत्रित किया। जहां श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया। जनता पर अत्याचार करने वाले का एक दिन कंस की तरह अंत होकर ही रहता है। कंस वध की कथा सुनकर सभी भक्त भावविभोर हो उठे। इस मौके पर पवन शंखधार, सर्वेश उपाध्याय, कपिल गुप्ता, दिवाकर मिश्रा, विनोद पाठक, सत्यवीर सिंह, हरीशंकर गुप्ता, अमरपाल शर्मा, राजेश गुप्ता, मनोज गुप्ता, प्रदीप गुप्ता, तिलकेश गुप्ता, दिपेन्द्र गुप्ता आदि मौजूद रहे। इधर वैन गांव में चल रही श्रीमदभागवत कथा में कथावाचक उपसरगम ने राजा दक्ष की कथा को विस्तार से सुनाया। इस मौके पर सुरेश कश्यप, ओमपाल, विष्णु, गंगासरन, गुलाब सिंह, प्रेमपाल माहेश्वरी, प्रेमनाथ, गिरिराज, सुधीर कुमार, भूरे, चंदन आदि मौजूद रहे।