बिल्सी: जैन धर्म के 8वे तीर्थंकर भगवान चन्द्रप्रभु स्वामी एवं 23वे तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ स्वामी का जन्म कल्याणक धूमधाम से मनाया गया।

बिल्सी: नगर के मोहल्ला साहवगंज स्थित पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आज जैन धर्म के 8वे तीर्थंकर भगवान चन्द्रप्रभु स्वामी एवं 23वे तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ स्वामी का जन्म कल्याणक धूमधाम से मनाया गया। यहां सबसे पहले जैन श्रावको द्वारा जिनेंद्र भगवान का मंगल जलाभिषेक कर शांति धारा की ,इसके बाद पूजा अर्चना के साथ अर्घ समर्पित किये गए । यहां जानकारी देते हुए जैन समाज के मीडिया प्रभारी प्रशान्त जैन ने बताया कि आज से लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व पौष कृष्ण एकादशी के दिन जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्म वाराणसी में हुआ था। उनके पिता का नाम अश्वसेन और माता का नाम वामादेवी था। राजा अश्वसेन वाराणसी के राजा थे। जैन पुराणों के अनुसार तीर्थंकर बनने के लिए पार्श्वनाथ को पूरे नौ जन्म लेने पड़े थे। पूर्व जन्म के संचित पुण्यों और दसवें जन्म के तप के फलत: ही वे तेईसवें तीर्थंकर बने।
चन्द्र प्रभु स्वामी ने भी जैन धर्म को काफी प्रचलित किया उन्होंने कहा कि हम कह सकते है की “जैन धर्म “एक सच्चा और भाव प्रधान धर्म है इसका इतिहास आलौकिक है और यह धर्म हर कल में खरी कसौटी पर उतरा है और आपने अस्तिव को बचाये रखा है ।
इस मौके पर अरविंद जैन,अनिल जैन,ज्योति जैन,नीलम जैन,दीपिका जैन,स्तुति जैन,आराध्या जैन ,भूपेंद्र जैन,प्रीति जैन समेत कई लोग मौजूद रहे

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