दिल्ली: उपराष्ट्रपति का भारत को शत-प्रतिशत साक्षर बनाने का आह्वान।

दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने भारत को निकट भविष्य में शत-प्रतिशत साक्षर बनाने के लिए समस्त हितधारकों से सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया।

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में आज नेशनल कॉलेज के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करते हुए श्री नायडू ने इस बात पर हताशा व्यक्त की कि आजादी के 70 साल बाद भी भारत में अभी तक 18-20 प्रतिशत आबादी निरक्षर है।

साक्षरता को सशक्तिकरण की दिशा में कदम बताते हुए उन्होंने साक्षरता अभियानों विशेषकर प्रौढ़ साक्षरता को प्रभावित करने वाले अभियानों की गति में तेजी लाने का आह्वान किया।

उन्होंने शिक्षा से जुड़ी विश्व की शीर्ष 300 संस्थाओं की सूची में भारत के एक भी प्रमुख विश्वविद्यालय का नाम न होने पर चिन्ता प्रकट की। उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में आईआईएससी, आईआईटी, आईआईएम जैसे प्रमुख संस्थान होने के बावजूद “टाइम्स हायर एज्युकेशन वर्ल्ड युनिवर्सिटी रैंकिंग्स 2020” की 500 विश्वविद्यालयों की सूची में भारत के केवल 56 प्रमुख संस्थानों को ही शामिल किया गया है।

भारत के एक समय में विश्व गुरू और दुनिया की शिक्षा राजधानी के रूप में विख्यात होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थाओं से अतीत का गौरव बहाल करने का अनुरोध किया ताकि भारत एक बार फिर से शिक्षा के क्षेत्र में प्रमुख स्थान प्राप्त कर सके।

उपराष्ट्रपति ने शिक्षा को सामाजिक विकास और सब के लिए समान अवसर प्रस्तुत कर त्वरित गति से विकास करने की कुंजी करार देते हुए शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान में हो रहे जीडीपी के 4.6 प्रतिशत निवेश से बढ़ाकर जीडीपी का 6 प्रतिशत निवेश किए जाने का आह्वान किया, जैसा की नीति आयोग द्वारा अधिदेशित किया गया है।

उन्होंने बड़े कारोबारी घरानों से आगे आने और देशभर के शिक्षा संस्थानों को सशक्त बनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि भारत की शिक्षा का भविष्य सार्वजनिक-निजी भागीदारियों के प्रभावी और कुशल मॉडलों पर निर्भर करता है।

उन्होंने नवाचार, उद्यमिता, अनुसंधान और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए रट कर याद करने के स्थान पर संकल्पनात्मक और अनुप्रयोगोन्मुख शिक्षण पर बल दिया जाना चाहिए ताकि भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग किया जा सके और भारत को विनिर्माण केन्द्र तथा विश्व की मानव संसाधन राजधानी बनाया जा सके।

श्री नायडू ने सांस्कृतिक, सामाजिक और नैतिक मूल्यों को छात्रों के मन में बैठाने के लिए शैक्षणिक संस्थाओं से संपूर्ण, मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया। उप राष्ट्रपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति में देश का समृद्ध इतिहास और महान नर-नारियों की जीवन गाथाएं समाहित की जानी चाहिए।

मातृ भाषा को संरक्षण प्रदान करने और प्रोत्साहन दिए जाने के महत्व पर बल देते हुए श्री नायडू ने कहा कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाना चाहिए और न ही उसका विरोध किया जाना चाहिए।

स्वस्थ युवा आबादी को राष्ट्र की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए उप राष्ट्रपति ने युवाओं को जंक फूड से परहेज करने और नियमित शारीरिक गतिविधियों के साथ फिटनेस बनाए रखने की सलाह दी।

उप राष्ट्रपति ने जनता से पर्यावरण के संरक्षण का आह्वान करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का यह पावन कर्तव्य है कि वह पर्यावरण के उपहार भावी पीढ़ियों को हस्तांतरित करें। उन्होंने चेतावनी दी, “यदि हमने फौरन सुधार के कदम न उठाए, तो इन नुकसानों की भरपाई कभी संभव नहीं हो सकेगी।”

उपराष्ट्रपति ने नेशनल कॉलेज की शताब्दी के अवसर पर डाक विभाग की ओर से शुरू किया गया एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।

इस अवसर पर तमिलनाडु के पर्यटन मंत्री थिरुवेलमंडी एन. नटराजन,  नेशनल कॉलेज के अध्यक्ष डॉ. वी. कृष्णमूर्ति, नेशनल कॉलेज के सचिव श्री के. रघुनाथन, नेशनल कॉलेज के  निदेशक डॉ. के. अनबरसू, नेशनल कॉलेज की कार्यकारी समिति के सदस्य श्री एन.एल. राजा, नेशनल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. आर. सुंदररामन और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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