ईश्वर ने पृथ्वी पर अवतरित होकर गुरुकुल में किया विद्यार्जन: रवि/श्रीराम ने धनुष उठाने, प्रत्यंचा चढ़ाने की चुनौति को स्वीकारा, किया आदर्श विवाह: रवि
बदायूँ/उझानी: मेरे राम कथा समिति की ओर से तेहरा गांव स्थित शिव मंदिर प्रांगण में चल रही सेवा और संस्कारों को समर्पित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के चैथे दिन सीता स्वयंवर, लखन-परशुराम संवाद आदि प्रसंगों का श्रवण कराया गया।
मातृशक्तियों, साधु-संतों और गणमान्य नागरिकों ने भगवान श्रीराम का पूजन कर भव्य आरती की।
कथावाचक महाराज रवि समदर्शी ने कहा विद्या से मानवीय जीवन की सर्वोपरि आवश्यकता की पूर्ति होती है। व्यक्तित्व निखरता है, योग्यता को नई ऊंचाईयां मिलती हैं, साधारण मनुष्य भी समाज में विशिष्ठ सम्मान पाता है। ईश्वर ने साक्षात मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण आदि के रुपों में पृथ्वी पर अवतरित होकर महर्षि वसिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र और सांदीपनि जैसे महर्षियों के गुरुकुलों में विद्यार्जन किया। ऋषि-मुनियों की उत्कृष्ट व्यवस्थाओं और ज्ञान की श्रेष्ठतम धाराओं ने भारत वर्ष को संपूर्ण विश्व का गुरु बना दिया। उन्होंने कहा आज युवा दिग्भ्रमित होकर अपनी क्षमताओं, शक्तियों और समय को बर्बाद कर रहा है। युवाओं को जीवन की सार्थकता और महानता के लिए संघर्ष और चुनौतियों को स्वीकारना ही पड़ेगा। अर्जित ज्ञान से ही समाज में व्याप्त अंधकार रुपी अज्ञान को दूर करने की समर्थ मिलेगी।
उन्होंने कहा भगवान श्रीराम का दहेज रहित आदर्श विवाह हुआ। राजा जनक ने भी अपनी पुत्री सीता के लिए शिव के धनुष को उठाने और प्रत्यंचा चढ़ाने की चुनौति को स्वीकारने और ऐसा कर दिखाने वाले वीर, पवित्र, आज्ञाकारी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को चुना।
आज आदर्श विवाह नहीं हो रहे हैं। दहेज का दानव हजारों बेटियों का जान ले रहा है। युवा पीढ़ी में नारीशक्ति ही क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी। युवाओं की दशा और दिशा बदलेगी।
दर्जनों गांवों से आए श्रद्धालुओं, साधु-संतों और गणमान्य नागरिकों के साथ मुख्य संयोजक ओमवीर सिंह यादव, भगवान श्रीराम की पूजा अर्चना के बाद भव्य आरती की। इस मौके पर पोषाकी सिंह, रामरहीस, दुर्गपाल सिंह, डाॅ. अशोक प्रजापति, विचित्र सक्सेना, राहुल, ओमप्रकाश शर्मा, सुधीर कुमार, पुष्पेंद्र यादव, रीना, गजेंद्र पंत, हरीओम, अनार सिंह, वेदपाल सिंह आदि मौजूद रहे।