बदायूँ: नोडल अधिकारी के आदेश को भी नही मानते बदायूं के डिप्टी सीएमओ/नोडल अधिकारी के रूप मे जिले का दौरा करने आये धीरज साहू ने जरीफनगर स्वास्थ्य उपकेन्द्र पर तैनात एएनएम ज्योति की तीन दिन में आख्या प्रस्तुत करने का डिप्टी सीएमओ को दिया था आदेश/एक माह बीत जाने के बाद भी अब तक नही हो सकी है कोई कार्रवाई/थक हारकर पीडित ने अब सीएमओ को शपथ पत्र पर अपने ब्यान कर एएनएम ज्योति के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की है ।
बदायूं/जरीफनगर : एक माह पूर्व नोडल अधिकारी धीरज साहू जिले के दौरे पर आये तो वह सांसद धर्मेन्द्र यादव के गोद लिए गांव जरीफनगर मे भी पहुंचे थे जहां स्वास्थ्य उपकेन्द्र पर तैनात एएनएम ज्योति की शिकायत क्षेत्र के एक गांव के व्यक्ति ने नोडल अधिकारी से की थी । नोडल अधिकारी ने तत्काल संज्ञान लेते हुए डिप्टी सीएमओ से जरीफनगर स्वास्थ्य उपकेन्द्र पर तैनात एएनएम ज्योति की जांच कर तीन दिन में आख्या प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे लेकिन डिप्टी सीएमओ ने नोडल अधिकारी के आदेश को ठंडे बस्ते मे डाल दिया । वहीं पीडित को किसी तरह का कोई न्याय नहीं मिला तो उसने अब पुनः लिखित रूप में शपथपत्र पर अपने ब्यान दर्ज कर सीएमओ को पत्र सौंप कर दोषी एएनएम के प्रति सख्त कार्रवाई कर उसे हटाने की मांग की है ।
बताते चलें कि चार सितम्बर को रवेंद्र पुत्र देवेंद्र सिंह निवासी असलौर थाना जरीफनगर अपनी पत्नी को प्रसव के लिए जरीफनगर उप स्वाथ्य केंद्र लेकर आया था जहाँ मौजूद एनएम ज्योति ने 1500 रूपये देशी दवाई मगाने के नाम पर ले लिए और उससे कहा कहा रात को वच्चे की पैदावारी हो जायेगी, बच्चा रात को पैदा जरूर हुआ लेकिन उसकी कुछ देर वाद मौत हो गयी। जिसपर रबेन्द्र ने उस एएनएम पर वच्चे के प्रति लापरवाही वरतने का आरोप लगाते हुए हंगामा काटा और इस रिश्वत खोरी की शिकायत नोडल अधिकारी धीरज साहू से कर दी रिश्वत खोरी की बात सुनकर साहू जी ने तत्काल प्रभाव से संज्ञान में लेकर तुरन्त सीडीओ को नोटिस भेज दिया फिर सीडीओ ने सीएमओ बदायूं को उस भ्रष्ट एनएम की जाँच सौपी और कड़े निर्देश देते हुए 3 दिन में जाँच पूरी करके आख्या प्रस्तुत कर कार्रवाही करने के आदेश दिए थे ,सीएमओ ने अपने सहपाठी डिप्टी सीएमओ डॉक्टर हरदत्त को जांच करने का आदेश थमा दिया था लेकिन एक महीने मे न तो कोई जांच हुई और न रिश्वतखोर एएनएम के खिलाफ कोई कार्रवाही। ऐसे मे स्वास्थ विभाग के आलाधिकारीयों पर सवालिया निशान उठना शुरू हो गए हैं कि क्या स्वास्थ विभाग जिले के नोडल अधिकारी का आदेश भी नही मानते हैं या फिर अपने काम के प्रति इतने लापरवाह बने हुए हैं या फिर ऐसे रिश्वतखोर कर्मचारियों को विभागीय संरक्षण प्राप्त है। यदि इस तरह रिश्वतखोरों और लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ जांच को ठंडे बस्ते में डाला जाता रहा तो लोगों का शासन और प्रशासन से भरोसा भी उठ सकता है क्योंकि शिकायतकर्ता ने शासन ने नामित नोडल अधिकारी से शिकायत की थी उसके बाद भी शिकायती पत्र को ठंडे बस्ते मे डाल दिया। इस संबध मे मुख्य विकास अधिकारी कृष्ण देव तिवारी जी से जानकारी ली तो उन्होंने कहा इसमे कार्रवाई तो सीएमओ स्तर से ही होगी अगर ऐसा है तो मै सीएमओ से बात करता हूँ और फिर से रिमाइंडर जारी करता हूँ।